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नकारनेवाले / संजय शाण्डिल्य
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13:27, 17 फ़रवरी 2019
दुनिया के बेहद ऊँचे-ऊँचे पहाड़
पर टूटते हैं साज़िशों से कभी-कभार
और प्यार से बार-बार...लगातार...
</poem>
अनिल जनविजय
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