चरवाहे {{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कुमार मुकुल|संग्रह=परिदृश्य के भीतर / कुमार मुकुल}} शहंशाह बन सकते हैं बने हैं शहंशाह
शहंशाह बन नहीं सकता चरवाहा चाहकर भी
तानाशाह बन सकता है वह
भोला-भाला व्यक्ति
बन सकता है पंडित ज्ञानी विराट
ज्ञानी हो नहीं सकता मूर्ख
पागल हो सकता है वह
आकाश छूती जमीन ज़मीन को पाट सकते हो अटटालिकाओं अट्टालिकाओं से
खींच सकते हो
कई-कई और चीन की दीवार
उसे बदल नहीं सकते समतल भूमि में
खंडहर बना सकते हो
वहां वहाँ बोलेंगे उल्लू।