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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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<poem>
चंदा के चंदनियाँ में झूले मइया झूला,
रूनझून पाँव पैजनियाँ।पैजनियाँ
झूली-झूली मइया जब बिहुँसे रे
भइया चमचम चमके नथनियाँ।।नथनियाँ
रेशमा के डोरिया में चंदना के पलना,
निमियाँ के गाछ झूलना।झूलना
झिर-झिर बहे रे पवन पूरबइया भइया,
मइया के डोलाबे झूलना।झूलना
झूली-झूली मइया जब बिहुँसे रे भइया,
चमचम चमके चंदनियाँ।चंदनियाँ
बड़ भाग रेशमा के डोरिया के भइया,
बड़ भाग चंदना के पलना।पलना
बड़ भाग निमियाँ के गछिया के भइया,
जेहमा लगइलन माय झूलना।झूलना
झूली-झूली मइया जब बिहुँसे रे भइया,
चमचम चमके वदनियाँ।वदनियाँ
</poem>