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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
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|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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<poem>
कोय माँगे साया-साड़ी कोय कनवाली
माँगे कोय झुमका-बाली पिया लेले अइहा हो।होसिंदुरवा लाली पिया लेले अइहा हो।।होताना रोज मारऽ हकय बड़की गोतिनियाँ।गोतिनियाँओकरो से जादे तोहर छोटकी बहिनियाँ।बहिनियाँपिया लेले अइहा हो खाली ओठ लाली।लाली
पिया लेले अइहा हो ......
बड़ दिन के बाद देखम साँवली सुरतिया।सुरतियाघुर-घुर इयाद आबे मोहनी-मुरतिया।मुरतियापिया लेले अइहा हो मेंहदी-लाली।लाली
पिया लेले अइहा हो .....
जो काम धंधा मंदा होत कउनो न´् बात।नञ् बाततोहरे जिनिगिया से हमर दिन-रात।रातपिया चली आइहा हो चाहे रहे हाँथ खाली।।खाली
पिया चली अइहा हो ......
</poem>