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05:21, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
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<poem>
हुआ मोहमय जीवन सारा, समय बहुत प्रतिकूल
हर मौसम में खिला न करते, हैं मनमोहक फूल
जीवन वन में कभी-कभी ही, आती मस्त बयार
सदा नहीं रह पाता साथी, मौसम भी अनुकूल
बहुत भटकने पर मिल पाती, है जब सच्ची राह
अक्सर हमें मिला करते हैं, इन राहों में शूल
यद्यपि अच्छे कर्म किये हैं, किंतु मिला अवसाद
सब कर्मों का खेल है पाया, हर प्रतिफल का मूल
तोड़ सभी माया के बंधन, लोभ मोह सब छोड़
जीवन सरिता बहे निरन्तर, मिले न कोई कूल
</poem>