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07:39, 19 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
सभी को यहाँ मान लीजे समान
करें काम जग में कोई तो महान
शिला कंटकों से भरी है ये राह
चले पत्थरों पर बनाते निशान
रहें सिद्ध करते सदा ही न स्वार्थ
सता दूसरों को निकालें न जान
बढें सत्य आदर्श का हाथ थाम
सिखाया सभी गुरुजनों ने ये ज्ञान
सभी धर्म का है यही मात्र सार
पसारे नहीं हाथ दे नित्य दान
</poem>