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{{KKRachna
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|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
सभी को यहाँ मान लीजे समान
करें काम जग में कोई तो महान

शिला कंटकों से भरी है ये राह
चले पत्थरों पर बनाते निशान

रहें सिद्ध करते सदा ही न स्वार्थ
सता दूसरों को निकालें न जान

बढें सत्य आदर्श का हाथ थाम
सिखाया सभी गुरुजनों ने ये ज्ञान

सभी धर्म का है यही मात्र सार
पसारे नहीं हाथ दे नित्य दान

</poem>