Changes

'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना वर्मा |अनुवादक= |संग्रह=शाम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
चरण कमल शारदे मात के नत शिर आ जाते हैं
दिवस निशा माता तेरी ही आरति हम गाते हैं

अब जग को मोहित करता है माता रूप तुम्हारा
गुंजित रहते वीणा के स्वर अमृत बरसाते हैं

करते रहते हम तेरा ही तो अभ्यास निरंतर
कर के तुझको नमन शारदे विमल बुद्धि पाते हैं

कथा-कहानी-उपन्यास सब अनुकंपा तेरी ही
छंद गीतिका मुक्तक लिखकर जग को सरसाते हैं

जग में पा सम्मान प्रतिष्ठा क्यों अभिमान दिखायें
माँ की चरण-धूलि पा कर ही तो सब हर्षाते हैं

</poem>