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05:26, 23 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुमन ढींगरा दुग्गल
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
ये ज़िंदगी जो तेरे दर्द के हिसार में है
न इख़्तियार से बाहर न इख़्तियार में है
मेरे वजूद पे इक बेख़़ु़ुदी सी तारी है
अजीब कैफ़ तेरे शौक़े इंतज़ार में है
</poem>