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08:48, 23 मार्च 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सुमन ढींगरा दुग्गल
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|संग्रह=
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<poem>
आप हिंदू बने और मुसलमान हम
बन न पाये मगर एक इंसान हम
अपने बारे में हम को ख़बर ही नहीं
जाने आबाद हैं अब कि वीरान हम
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