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01:36, 24 मार्च 2019 {{KKRachna
|रचनाकार=भारतेन्दु मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=बोली बानी / जगदीश पीयूष
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<poem>
खाकी वरदी पहिने द्याखौ
यू सरकारी भेड़हा आवा
कठपुतलिन का कउन ठेकाना
कब ई करैं दगा
ई दुनिया मा इनका तौ बसि
पइसै एकु सगा
जस सुन्दरि कन्या का खातिर
लरिका काना खोड़हा आवा
बड़े बड़ेन के ग्वाड़ दबावैं
हम पर लाठिन वार
इनका देखि-देखि भाजति है
ट्वाला क्यार चमार
महक भरे गलियारे मइहाँ
जइसे ग्वाबरु सड़हा आवा
नेता औ अधिकारिन ते है
इनकी मिली भगति
सरे आम जेबै काटति हैं
इनते यहै प्रगति
जेहेल कइ दिहिन लोनिंग मइहाँ
जब दउँगरा असढ़हा आवा
<poem>