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|रचनाकार=भारतेन्दु मिश्र
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|संग्रह=बोली बानी / जगदीश पीयूष
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<poem>
चंदावती
हो चंदावती
धुकुर-धुकुर होय लाग जियरा हमार
ओ चंदावती

जामुन औ आम सबै अबकी बौरान हैं
गाँव की बिटेवा सब हुइ गयी जवान हैं
कामे मा लागै ना जियरा हमार
हो चंदावती

जब ते तुम रूठी हम रहि गयेन अकेले
हमरे जिउ के खातिर हैं बड़े झमेले
रोजु राह द्याखति है जियरा हमार
हो चंदावती

अब तौ घर आय जाव दउआ बीमार हैं
मानौ बसि दुइ दिन के अब उइ मेहमान हैं
छिनु-छिनु पै भागै रे जियरा हमार
हो चंदावती

<poem>