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01:54, 24 मार्च 2019 {{KKRachna
|रचनाकार=भारतेन्दु मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=बोली बानी / जगदीश पीयूष
}}
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<poem>
धुक्कु-पक्कु
जिउ डेराय
छोटि केरि नौकरी
छोड़ि-छोड़ि गाँव-देसु
सहरै तौ आय गयेन
ख्यात-पात
सपनु भये
अइसे मा का करी
छोटि की कोठरिया है
लरिकवा मेहेरिया है
बसि जस-तस
दिन काटी
चैन अब कहाँ धरी
लउटि कस हुँआ जाई
हसिहैं दउआ दाई
हियनै
मरि-खपि जइबा
करति करति चाकरी
<poem>