गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है / अकबर इलाहाबादी
1 byte removed
,
15:15, 4 सितम्बर 2008
मज़े अब वो कहाँ बाक़ी रहे बीबी मियाँ होकर <br><br>
न थी मुतलक़ तव्क़्क़ो बिल बनाकर पेश कर
दो गे
दोगे
<br>
मेरी जाँ लुट गया मैं तो तुम्हारा मेहमाँ होकर <br><br>
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
,
प्रबंधक
6,240
edits