हमारे ऐसे ही एक अथक स्वयंसेवी कार्य का परिणाम है '''कविता कोश कैलेण्डर 2018'''। इस शानदार कैलेण्डर को आप सबके सामने रखते हुए हमें गर्व हो रहा है... कुमार अमित और शारदा सुमन इस कैलेण्डर परियोजना के सूत्रधार रहे हैं।
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हिन्दी साहित्य के बारे में शायद आज तक ऐसा भव्य कैलेण्डर नहीं बना है।
राहुल शिवाय द्वारा संपादित और कुमार अमित के बनाए कवर से सजा गीत संकलन "गीत गुनगुनाएँ फिर से" भी खरीद के लिए हमारे स्टॉल पर उपलब्ध रहा। नए काव्य रचनाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए कविता कोश द्वारा प्रकाशित इस संकलन वरिष्ठ और नवोदित 80 गीतकारों को स्थान दिया गया है।
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कविता कोश ने विश्व पुस्तक मेले में 7 जनवरी को 4:15 बजे मुक्तिबोध के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एक चर्चा आयोजित की। इस चर्चा में [[लीलाधर मंडलोई|लीलाधर मंडलोई जी]], [[मदन कश्यप|मदन कश्यप जी]], [[सुमन केशरी|सुमन केशरी जी]] और [[अशोक कुमार पाण्डेय|अशोक कुमार पाण्डेय जी]] ने भाग लिया। चर्चा का संचालन सईद अय्यूब ने किया।
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इसी दिशा में एक छोटा-सा कदम बढ़ाते हुए हमनें विश्व पुस्तक मेले के दौरान "लोकरंग" नामक एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विभिन्न भाषाओं के गीतों/कविताओं का सस्वर पाठ किया गया। इसमें राजस्थानी, हरियाणवी, अंगिका, मैथिली, भोजपुरी, ब्रजभाषा, बज्जिका, पंजाबी और अवधी की रचनाओं का पाठ हुआ।
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