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शकेब जलाली
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/* प्रतिनिधि ग़ज़लें */
* [[पर्दा-ए-शब की ओट में ज़ोहरा-जमाल खो गए / शकेब जलाली]]
* [[जलते सहराओं में फैला होता / शकेब जलाली]]
* [[कुछ तो आता मेरी
बातोंका
बातों का
जवाब / शकेब जलाली]]
* [[जो भी तालिब है यक ज़र्रा उसे सहरा दे / शकेब जलाली]]
अनिल जनविजय
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