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इतिहास की क़लम से / बाल गंगाधर 'बागी'
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10:08, 23 अप्रैल 2019
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कभी पर्वत कभी वादी, कभी झरने कभी
सहारा1
सहारा
बची कौन सी जगह, रहा न तेरे वर्चस्व का पहरा
धरा-धरोहर धन-दौलत, सर्वस्व तुम्हारे पास रहा
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