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दिन बीते बेगारी में / मृदुला झा
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07:12, 28 अप्रैल 2019
क्या जायेगा थारी में।
जाऊँ मैं अब किसके
दरए
दर
सबके सब बेकारी में।
बिन रोटी के कितने
दिनए
दिन
गुजरेंगे बेजारी में।
बीण्पीण्एलण्
बी पी एल
में नाम
नहींए
नहीं
घूस की मारा
.
मारी में।
माँ
.
बेटे की आँखों
केए
के
सपने हैं दुश्वारी में।
</poem>
Sharda suman
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