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13:20, 2 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=धनेश कोठारी
|अनुवादक=
|संग्रह=[[ज्यूंदाळ / धनेश कोठारी]]
}}
{{KKCatGadhwaliRachna}}
<poem>
हे जी!
इन बोदिन बल कि
गौं का
विकास का बिगर
देश अर समाज कु
बिकास संभव नि च
हांऽ भग्यानि!
तब्बि त
अब पंचैत राज मा
गौं- खौंळौं मा
बौनसाई नेतौं कि
पौध रोपेणिं च
</poem>