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दिन बीते बेगारी मेंक्या जायेगा थारी में।में
जाऊँ मैं अब किसके दर
सबके सब बेकारी में।में
बिन रोटी के कितने दिन
गुजरेंगे बेजारी में।में
बी पी एल में नाम नहीं
घूस की मारा मारी में।में
माँ बेटे की आँखों के
सपने हैं दुश्वारी में।में
</poem>
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