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हूक तेरी घाटियों में / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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02:01, 7 मई 2019
फिर से तुम्हें
मैं खिलूँगा
उर
-
उववन में तुम्हारे
और खुशबू बन
सरस प्राणों को करूँगा
वीरबाला
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