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निशान / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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02:02, 7 मई 2019
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<poem>
शिलाओं ने जल को
जीभर पटका
बार- बार पछाड़ा
कई बार लताड़ा
वह खिलखिलाया
तभी तो उनको
चूर -चूर कर पाया
'''टूटा नहीं जल'''
'''शिलाओं पर अपने'''
'''निशान छोड़ आया।'''
<poem>
वीरबाला
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