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13:50, 21 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषिपाल धीमान ऋषि
|अनुवादक=
|संग्रह=शबनमी अहसास / ऋषिपाल धीमान ऋषि
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
देख कर दिल की कहानी आज कल
रो रही है ज़िन्दगानी आज कल।
क्यों दया, ममता, वफ़ा और प्यार की
बात लगती है पुरानी आज कल।
रात भर कोई यहां सोता नहीं
इस तरह है हुक्मरानी आज कल।
बात अपने दिल की सबके सामने
है बहुत मुश्किल सुनानी आज कल।
हंस रही हैं नागफनियां मस्त हो
कुढ़ रही है रातरानी आज कल।
जो अभी तुतला रहे थे उनको भी
आ गई बातें बनानी आजकल।
घर में संयम से रहा करिये जनाब
हो चली बेटी सयानी आज कल।
</poem>