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वागाम्भृणी सूक्त, ऋग्वेद - 10 / 125 / 1 / कुमार मुकुल
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11:13, 23 मई 2019
हमहीं मित्र आउर वरूण के धारण करींला।
इंदर देवता, अगिन देव आउर अश्वनि देवन के
हमहीं धारण
करींला।
करींला॥1॥
अहं रुद्रेभिर्वसुभिश्चराम्यहमादित्यैरुत विश्वदेवैः ।
Kumar mukul
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