785 bytes added,
11:21, 23 मई 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=
|अनुवादक=कुमार मुकुल
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
एह अखिल भुवन मेें
हमहीं वायु रूप में
बहत रहींला।
आपन महिमा
हम का बखानीं
इ भूलोक, उ सुरूज लोक से उपर
सगरे बाणी-बोली रूप में
हमहीं मौजूद हईं। ॥8॥
अहमेव वात इव प्र वाम्यारभमाणा भुवनानि विश्वा ।
परो दिवा पर एना पृथिव्यैतावती महिना सं बभूव ॥8॥
</poem>