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{{KKRachna
|रचनाकार=राज़िक़ अंसारी
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<poem>नए किरदार में ढल के मिलेंगे
पुराने दोस्त हैं, जल के मिलेंगे

तुम्हारी क़द्र व क़ीमत घट चुकी है
तुम्हारे भाव अब हलके मिलेंगे

बहादुर हो तो ख़ाली हाथ आना
अगर ये बात है, चल के मिलेंगे

अगर खोदे गए पिछले ज़माने
हज़ारों सीन मक़तल के मिलेंगे

तुम अपनी हैसियत ख़ुद जान लोगे
अगर फोटो तुम्हें कल के मिलेंगे </poem>