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12:41, 25 जून 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=जंगवीर सिंह 'राकेश'
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|संग्रह=
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<poem>
हम भुला दें तुम्हें तो क्या होगा?
'हां' ये सच-मुच बहुत बुरा होगा;
ज़िन्दगी लुत्फ़ है उठाओ 'यार'
मौत का भी अलग मज़ा होगा;
ज़र्द पत्ते लिपट के रोए मुझे;
सोचो क्या वाक़िआ हुआ होगा?
जितने भी यार थे फ़रेबी थे;
और इस से बुरा भी क्या होगा;
अब चलो ये कहानी ख़त्म करें
जो भी अब होगा 'हां' नया होगा
</poem>