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मेरे भी पांव में रस्ते बहोत हैं / जंगवीर सिंंह 'राकेश'
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13:07, 25 जून 2019
मेरे भी पांव में रस्ते बहोत हैं
रिहा कर दो न, सब पंछी क़फ़स<ref>पिंजरा</ref> से
सुना है आप तो अच्छे बहोत हैं
</poem>
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