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06:26, 3 जुलाई 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विरेन सांवङिया
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प्रफुल्लित हरियाणा देखा
दूध दही का खाणा देखा
धोती कुर्ता बाणा देखा
सबनै अपणा जाणा देखा
इब लगरे इस मै लूट मचाण
के या ए रहगी म्हारी पिछाण
नौकर कुछ सरकारी देखे
बडे-बडे अधिकारी देखे
गिरदावर पटवारी देखे
पोस्ट कोए कोए भारी देखे
लगरे सारे रिश्वत खाण
के या ए रहगी म्हारी पिछाण
कोए कहै पढ रातू जागां
कोए कहै नित उठ भागां
कोए कहै हम अफसर लागां
कोए कहै हम गोली दागां
लगरे चपङासी का जैक लगाण
के या ए रहगी म्हारी पिछाण
भ्रुण हत्या रै कुकर्म खोटा
सदा रहा छोरीयां का टोटा
किसे किसे का ब्याह ना होता
कलंक लगा ईब और भी मोटा
गाम की लगरे गाम मै ब्याहण
के या ए रहगी म्हारी पिछाण
बणती नई सहेली देखी
बाबे गेल्या चेल्ली देखी
सारी रात अकेली देखी
नया खेल कोए खेल्ली देखी
रै फेर भी लगरे लोग छुडाण
के या ए रहगी म्हारी पिछाण
भाई बुजुर्ग प्यारे पाटे
एक नहीं सब न्यारे पाटे
आपस मै घर म्हारे पाटे
आरक्षण मै सारे पाटे
लोग आए ना लास भी ठाण
के या ए रहगी म्हारी पिछाण
जिसनै देखो गन्दा गारा
नाचै चेल्ली खूब कमारा
भाभी उपर गीत बणारा
गंडास पटोला माल बतारा
रै पी कै लगरे नोट उडाण
के या ए रहगी म्हारी पिछाण
सांवङिया इब के लिखता रै
सन्ता मै सच ना टिकता रै
माणस माणस सै बिकता रै
आपस के म्हा है झिकता रै
लगरा मसले झूठे ठाण
के या ए रहगी म्हारी पिछाण
छोटू राम से हकमी देखो
छाजू राम से रकमी देखो
मांगे धनपत लख्मी देखो
हरफूल जाट सै जख्मी देखो
रै इन महापुरुषों का रखलो मान
के या ए रहगी म्हारी पिछाण
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