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घृणा थी रौंदी / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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16:05, 3 जुलाई 2019
घृणा थी रौंदी
किसी
को
का
दु:ख
में
देखा
तो हिस्सा माँगा,
सदा
ज़हर मिला-
सब
खुद पी डाला
'''चन्दन-सा जीवन'''
बना कोयला
वीरबाला
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