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:पा गया तुममें सहारा<br>
:कामिनी ! युग-युग भटकता प्यार रे !<br>
आज आँखों में गया बस, प्रीत का सपना नया !<br><br>
:रे सलोने मेघ सावन के<br>
:क्यों तड़प नीलांजने !<br>
:निज बाहुओं में नेह से भर-भर लिया ? <BR>
साथ छूटे यह कभी ना, हे नियति ! करना दया !<br>