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<poem>
तुम्हारा जिस्म एक पीसती चक्की
उसकी नलिका से सरकता हुआ
मैं लाल गेहूँ
मैं रात मैं पानी
मैं आगे बढ़ता हुआ जँगल
मैं जीभ
मैं जिस्म
रात की नलिका से गुज़रता हुआ
 
मैं धूप की हड्डी
जिस्मों की बहार
तुम गेहूँ की रात
तुम रात का जँगल
तुम इन्तज़ार करता पानी
तुम धूप की नलिका में
पीसती हुई चक्की
 
मेरी रात तुम्हारी रात
मेरी धूप तुम्हारी धूप
मेरा गेहूँ तुम्हारी चक्की में
तुम्हारा जँगल मेरी जीभ पर
जिस्म की नलिका से होकर
 
रात का पानी
तुम्हारा जिस्म मेरा जिस्म
हड्डियों की बहार
धूप की बहार
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य'''
</poem>
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