{{KKRachna
|रचनाकार=कविता भट्ट
|अनुवादक=
दूर जाते हुए मन सीपी सा
यादों के समंदर में खोया था
'''जिसके सीने को मैंने कई बार''' '''अपने आंसुओं से भिगोया था'''
खोज रही थी आने वाले
हमदर्दी का हस्ताक्षर करेगा?
'''मुझे गले लगाकर; क्या सच्ची बात''' '''कहने का हुनर दोहराएगा? ''' '''जो सभ्यता में नहीं; क्या वह''' '''उस सम्बन्ध की धूल हटाएगा?'''
जो मिलकर नम होती हैं बरस सकेंगी