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राहज़नों से भी बद-तर हैं राह-नुमा कहलाने वाले
उन से उनसे प्यार किया है हम ने उन की हमने उनकी राह में हम बैठे हैं
ना-मुम्किन है जिन का मिलना और नहीं जो आने वाले
उन पर उनपर भी हँसती थी दुनिया आवाज़ें कसती थी दुनिया
'जालिब' अपनी ही सूरत थे इश्क़ में जाँ से जाने वाले
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