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क्षिप्रा के किनारे / महेन्द्र भटनागर
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17:37, 15 अगस्त 2008
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह=
जूझते हुए
जिजीविषा
/ महेन्द्र भटनागर
}}
लड़खड़ाते पाँव हैं, सूनी डगर<br>
झूम आगे चल रहा हूँ मैं मगर !<br><br>
Pratishtha
KKSahayogi,
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प्रबंधक
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