Changes

श्रोता / हरीश प्रधान

559 bytes added, 08:58, 11 सितम्बर 2019
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हरीश प्रधान |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=हरीश प्रधान
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मैंने कहा
खूब... खूब...
तुमने गरदनें हिलाईं
स्वर के आरोह
अवरोह से
तालियाँ दे डालीं,
पर
श्रोता का धर्म
श्रवण
सिर्फ श्रवण है
यह सिद्ध किया
ग्रहण कुछ किया नहीं।
</poem>