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आलिंगन तरसे / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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02:22, 22 सितम्बर 2019
[[Category: ताँका]]
<poem>
1
29
मन उन्मन
'''तरसे आलिंगन'''
अब चले भी आओ
परदेसी हो गए !!
2
30
आकर लौटे,
बन्द द्वार था मिला
दर्द मिले मुफ़्त में
प्यार माँगे न मिले।
3
31
टूटते कहाँ
लौहपाश जकड़े
वीरबाला
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