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<poem>
राम अर लछमण दशरथ के बेटे
दोनों बण-खंड जाएँ ... हे जी कोई राम मिले भगवान

एक बण चाल्ये, दो बण चाल्ये
तीजे में लग आई प्यास ... हे जी कोई राम मिले भगवान

ना अड़े कूआँ, ना अड़े जोहड़
ना अड़े सरवर ताल ... हे जी कोई राम मिले भगवान

हर के घर तै उठी बदलिया
बरस रही झड़ लाए ... हे जी कोई राम मिले भगवान

भर गए कूएँ, भर गए जोहड़
भर गए सरवर ताल ... हे जी कोई राम मिले भगवान

छोटा-सा छोरा गउएँ चरावै
पाणी तो प्याओ नंदलाल ... हे जी कोई राम मिले भगवान

भर के लोटा पाणी का ल्याया
पिओ तो श्री भगवान ... हे जी कोई राम मिले भगवान

तेरा पाणी हम जब पीवांगे
नाम बताओ माय अर बाप ... हे जी कोई राम मिले भगवान

पिता अपने का नाम ना जाणू
सीता सै म्हारी माँ ... हे जी कोई राम मिले भगवान

चाल भई लड़के उस नगरी में
जित थारी सीता माँ ... हे जी कोई राम मिले भगवान

खड़ी-खड़ी सीता केश सुखावै
हरे रूख की छायँ ... हे जी कोई राम मिले भगवान

ढक ले री माता इन केशां ने
बाहर खड़े श्रीराम ... हे जी कोई राम मिले भगवान

इस माणस का मुखड़ा ना देखूँ
जीव तने दिया बणवास ... हे जी कोई राम मिले भगवान

पाट गई धरती समा गई सीता
खड़े लखावें श्रीराम ... हे जी कोई राम मिले भगवान

भाज-लुज के चोटा पकड़्या
चोटे में हरी-हरी घाम ... हे जी कोई राम मिले भगवान

राम की माया राम ही जाणे
भज लो जय जय राम ... हे जी कोई राम मिले भगवान
</poem>