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19:09, 6 नवम्बर 2019 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=प्रताप नारायण सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=नवगीत / प्रताप नारायण सिंह
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<poem>
तुमने देखा
मुझे नज़र भर
हुई आज तो होली है
साँसों में घुल गया मलयगिरि
उर में नंदनवन खिलता
रोम रोम पुलकित अतिशय ही
अंग अंग में मादकता
मुख पर पुता
तितलियों का पर
हुई आज तो होली है
अमराई लहराई मन में
चलते हरित-झकोरे हैं
हिय-शाखों पर हरे, गुलाबी
लाल गुलाल-टिकोरे हैं
बही रंग-सरिता
उर-अंदर
हुई आज तो होली है
उगा दिया है छूकर तुमने
इंद्रधनुष बहु तन-मन पर
फागुन की भर कर पिचकारी
फेंकें रंग धरा-अम्बर
मुझ में, तुम में
रहा न अंतर
हुई आज तो होली है
</poem>