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जिस पल मुझको कन्ठ लगाते / प्रताप नारायण सिंह
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20:25, 6 नवम्बर 2019
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(बच्चन जी की "प्रतीक्षा" से प्रेरित है यह रचना। प्रतीक्षा की अंतिम पंक्ति है - "अपनी
बाहों
बाँहों
में भरकर प्रिय, कंठ लगाते तब क्या होता"। )
अपनी बाँहों में भरकर प्रिय,
Pratap Narayan Singh
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