Changes

शबाब की नक़ाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
मुझे पिला रहे थे वो कि ख़ुद ही शम्मा बुझ गयी गई
गिलास ग़ुम शराब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
हुई वही किताब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
लबों से लब जो मिल गयेगए, लबों से लब जो सिल गये गए
सवाल ग़ुम जवाब ग़ुम, बड़ी हसीन रात थी
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits