Changes

महमूद दरवेश / परिचय

12 bytes removed, 06:57, 26 अगस्त 2008
रामल्लाह। फलस्तीनियों की दुख: और पीडा तथा उनके संघर्ष को अपनी कविताओं के जरिए आवाज देने वाले मशहूर कवि महमूद दरवेश को बुधवार को यहां हजारों लोगों ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी।
पश्चिमी तट के रामल्लाह शहर में दसियों हजार फलस्तीनियों ने ..ओ महमूद ओ महमूद तुम चैन से सो जाओ हम अपना संघर्ष जारी रखेंगे नारों के बीच पूरे राजकीय सम्मान के साथ दरवेश को सुपुर्देखाक किया गया। उनका पार्थिव शरीर फलस्तीनी झंडे में लिपटा हुआ था जिस पर उनकी कविताएं लिखी हुई थी।
67 वर्षीय दरवेश का गत शनिवार को अमेरिका के ह्यूस्टन अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी के बाद निधन हो गया था। उनके पार्थिव शरीर को पहले अमेरिका से पहले जार्डन लाया गया और फिर बाद में वहां से विमान के जरिए रामल्लाह पहुंचाया गया। इस मौके पर लोगों ने कहा कि दरवेश में लफ्जों और बुद्धिमत्ता का गजब का हुनर था। वे हमारे देश की जनभावना, मानवीयता और हमारे स्वतंत्रता संघर्ष का प्रतीक थे।
यह दरवेश ही थे जिन्होंने 1988 में फलस्तीनी मुक्ति संगठन द्वारा अंगीकृत की गई स्वतंत्रता के घोषणापत्र को अपनी कलम से संवारा था। दरवेश उन अरब लोगों में से थे जिन्हें 1948 में इजरायल के गठन के साथ ही विस्थापन का दंश झेलना पडा था। उन दिनों वह एक मासूम बच्चे थे, लेकिन इस दंश ने उन्हें कहीं अंदर तक गहरा प्रभावित किया। अपनी मुखर कविताओं के कारण कई बार जेल गए दरवेश वर्ष 1971 में उच्च शिक्षा के लिए सोवियत संघ रवाना हुए। इसके बाद उनका जीवन भी संघर्षोसे ही भरा रहा। काहिरा, बेरूत और पेरिस में कई दिनों तक निर्वासित जीवन व्यतीत किया।
वे फलस्तीन मुक्ति संगठन की कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे, लेकिन 1993 में इजरायल और फलस्तीन के बीच हुए ओस्लो समझौते के विरोध में उन्होंने संगठन के नेता यासिर अराफात से अपना नाता तोड लिया और पद से इस्तीफा दे दिया। गौरतलब है कि पिछले महीने उन्होंने संवाददाताओं से मुलाकात में कहा था कि मेरी नई कविता हास्य और व्यंग से भरपूर है जिसमें आप फलस्तीनियों के साथ-साथ इजरायलियों की भावनाओं को भी पढ पाएंगे। क्योंकि मेरा मानना है कि व्यंग एक ऐसी दवा है जो हमें घावों की पीडा और दुख: और दर्द को भुलाकर हंसने का मौका देती है।
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits