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हमन इंसान है, इंसान की ही दोस्ती चाहे
बदरिया है, बरसते हैंबरसता है, हमन की का रंग खुद्दारी
समय का कबीरा कहिये, जलाकर घर जिए जिया अब तक न कोई है हमन जैसा है, हमन से दूर मक्कारी
सुमित्तर भी हमन जैसा, बड़ा दिलदार मनुष्य मानुष है
रहा संसार से उबा, मगर लगता है संसारी
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