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धवल धरा / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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02:53, 25 जनवरी 2020
किसी का दुख पूछो-
ये पाप बड़ा।
205
सोया है शीत
ओढ़ शुभ्र दूकूल
गहन निद्रा।
206
हिम-अंधड़
करे क्रुद्ध गर्जन
बधिर नभ।
-0-
वीरबाला
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