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जब भी कभी इस बार मैं ही करूँगीकुछ अचानक घटित होगा हमारे आसपास तब हम अपनीसंवेदनाओं के तालाब मेंएक कंकड़ फेकेंगेयुद्ध की मुनादीऔर चुपचाप देखेंगे उसमें उठते हुये बुलबुलेफिर लौट आयेंगे थके मांदेअपनी संवेदनाओं को सुलाकरसंधि का प्रस्ताव बासी दिनचर्या के पास।निश्चित ही तुम्हारा होगा।
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