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11:48, 6 फ़रवरी 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम बधानी
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<poem>
तेरि माया कु तीसु छौं
तीसू रौंलु
हाथु क रेखड़ौं म होंदु भाग
त्वै पौंलु त सच माणि जौंलु
छमोटौं न भि तीस बुझदि नी
तेरि एक बुंदन धित्यै भि जौंलु
तु धोर छै सुनिंद छौ लाटु छौ मै
नि जाणि एक दिन स्याणि कौंेलु
सुपन्यौं म भि औणौ बग्त त्वैमा नी
मै अमणी कि रात,भि सारा रौंलु
सौं करारू कि टुटीं माळा
उमर भर मेटणु,गंठ्यौणु रौंलु
तेरू बदल्यूं रंग गेड़ हुयाीं छ
नि गणली जब तैं घंगतोळ म रौंलु
त्वैक धुंधकार उठाईं यै मन की
पुळेलु जब तैं पुळ्यौणु रौंलु
</poem>