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उर में छाले / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
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17:15, 23 फ़रवरी 2020
भीष्म-मन आहत,
जीना मुश्किल
उत्तरायण
भी बीते
बीता
मरने को तरसे।
3
मन विकल
नयन छलछल
बहते
हैं
विकल,
कहते कथा
साँझ से भोर तक,
वीरबाला
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