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परिचय / प्रगति गुप्ता
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13:41, 1 अप्रैल 2020
कभी बहते ही नहीं है ...
चल रही साथ तेरे
निशब्द
शान्त—सी
शान्त सी
हरपल मै...
जो छाँव, सकून तेरे साथ से है,
वही इस साथ का परिचय
बाकी कुछ नहीं निःशेष है...
</poem>
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