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Vijay Chormare
मराठी कवि विजय चोरमारे की कविता -- तालाबन्दी
किया जा रहा है इनसानों को सैनीटाइज़
मैल से सने हुए हैं उनके कपड़े
इतनी मोटी धूल की परत
कि अब पहचान नहीं सकेंगे घर वाले भी
 
पाँव कट-फट चुके हैं, उजड़ गया है सब कुछ
फिर भी थके नहीं है पैर
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