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सीता: एक नारी / प्रथम सर्ग / पृष्ठ 4 / प्रताप नारायण सिंह
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13:54, 21 अप्रैल 2020
श्रीराम, लक्ष्मण के शरों से असुर सब घिरने लगे
अविछिन्न
विच्छिन्न
होकर अंग उनके भूमि पर गिरने लगे
मारे गए खर और दूषण, बाहुबल जिनका बड़ा
शर-बिद्ध होकर शीश उनका भूमि पर था गिर पड़ा
</poem>
Pratap Narayan Singh
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