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अंग—संग / कुमार विकल

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हमारी शक्ति को बढ़ायेगी|
 
चीख़
 
अब चीखने से क्या फ़ायदा
 
दीवारें इतनी उँची उठ चुकी हैं
 
कि उनके भीतर
 
तुम केवल अपनी आवाज़ की अनुगूँज ही सुन पाओगे
 
और जब दीवारों से अपना सिर टकराओगे
 
तो अपनी हथेली पर
 
अपना ही खून पाओगे|
 
 
इस तरह ख़ून बहाने से कोई फ़ायदा नहीं
 
अपनी सुरक्षा मे चक्रव्यूह में
 
मारा गया आदमी शहादत नहीं पायेगा
 
इतिहास के पन्नों में याद नहीं किया जायेगा
 
इतिहास अन्धा नहीं होता
 
इतिहास दिखता है
 
इंतज़ार करता है
 
इतिहास बड़ा क्रूर होता है
 
लेकिन एक बहादुर माँ की ममता—सा मजबूर होता है|
 
समय है कि तुम अब भी
 
अपनी चीख़ को
 
एक ख़तरनाक छलाँग में बदल डालो
 
 
जब तुम अपने घायल शरीर को लेकर
 
इन दीवारों से बाहर आओगे
 
तो हज़ारों लाखों ममता भरे हाथ
 
अपनी सुरक्षा के लिए पाओगे
 
 
और जब
 
इन दीवारों के रहस्यतन्त्र को
 
तोड़ने के लिए
 
हज़ारों लाखों फावड़ों के बीच
 
तुम अपना पहला फावड़ा उठाओगे
 
तो इतिहास की विशाल बाहों को
 
अपने लिए खुला पाओगे|
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